अपने आस्तित्व का कारण खोजो
सम्पूर्ण व्यक्त अथवा अव्यक्त जगत में कही भी कुछ भी निरर्थक नहीं है। सभी व्यक्ति, वस्तु, स्थान, समय अथवा परिस्थितियों का कोई न कोई कारण जरुर है तथा सभी का लोक हित में उपयोग किया जाना प्रस्तावित भी है। केवल कतिपय श्रेष्ठ व्यक्तियों द्वारा किसी दबाव या भ्रान्ति में कम बहतर कार्य करने अथवा अन्य किन्ही कारणों से अपने दायित्वों के निर्वहन नहीं किये जा सकने के परिणामस्वरूप कम योग्य व्यक्तियों द्वारा उच्चतर स्थान ग्रहण करके अपनी योग्यता, जानकारी, छमता, ज्ञान अथवा हितों के अनुसार बेहतर कार्य किये जाने के कारण ही समस्त दुर्व्यवस्था फैली हुई है। जिसे केवल अभिनव अभिषद के माध्यम से ही सभी प्रकार या स्तर के व्यक्तियों, वस्तुओं या व्यवस्थाओं द्वारा पूर्ण स्वतंत्र रहते हुए, वास्तविक तथ्यों को संज्ञान में लेते हुए अपनी योग्यता तथा आवश्यकता के अनुसार सर्वश्रेष्ठ निर्णय तथा तरीकों के उपयोग से अपने हितों को पूरा करते हुए स्थापित की गयी व्यवस्था(अभिनव अभिषद) द्वारा ही दूर किया जा सकता है। |