सर्वश्रेष्ठ पूजा
सभी धर्मों में उनके अनुयायियों के अभीष्ट को संतुष्ट करने के सर्वश्रेष्ठ व्यवहारिक तरीके ही विभिन्न पूजा पद्धतियों के रूप में प्रचलित है जो कालांतर में उनके प्रमुख व्यक्तियों द्वारा अपने हितों के अनुसार गुमराह कर दिए गए प्रतीत हो रहे है। जिसके परिणामस्वरूप समस्त समाज में निहित आम व्यक्तियों के हित, उनके हितों की अधिकतम संतुष्टि तथा उन्हें पूरा करने के श्रेष्ठ तरीकों की परिभाषा ही बदल दी गयी है। जिससे सभी प्रकार के प्रयासों का लाभ करने वाले को कम तथा परजीवियों को ज्यादा मिलता है। जिसे केवल आम परिवारों द्वारा ही अपने स्पष्ट हितो, उसकी सर्वोत्कृष्ट संतुष्टि तथा उसे पूरा करने के सर्वश्रेष्ठ तरीकों के प्रयोग से सभी प्रकार के अभीष्ट को पूरा करने तथा ऐसी व्यवस्था को सार्वजानिक रूप से स्थापित करने में सहयोग को सर्वश्रेष्ठ अथवा अंतिम पूजा कहा जा सकता है। |