यह सभी व्यक्ति-वस्तु-व्यवस्था में सभी समय-स्थान-परिस्थितियों में अनिवार्य रूप से रहने वाली ज़रूरतों को धनुष की तरह उपयोग किए जाने की व्यवस्था की योजना है| जिसे कोई भी चाहे वह दीन-हीन, कमजोर, मूर्ख, बच्चा, महिला या दुष्ट भी केवल चाहत मात्र से ही बगैर किसी लागत या जोख़िम के आसानी से बना और उपयोग करके अपने लछ्योन को प्राप्त कर सकेगा, जिसे किसी भी समर्थ व्यक्ति या व्यवस्था द्वारा किसी भी प्रकार से गुमराह, बाध्य अथवा बाधित नही किया जा सकेगा|
यह सभी व्यक्ति-वस्तु-व्यवस्था में सभी समय-स्थान-परिस्थितियों में अनिवार्य रूप से रहने वाली ज़रूरतों को धनुष की तरह उपयोग किए जाने की व्यवस्था की योजना है| जिसे कोई भी चाहे वह दीन-हीन, कमजोर, मूर्ख, बच्चा, महिला या दुष्ट भी केवल चाहत मात्र से ही बगैर किसी लागत या जोख़िम के आसानी से बना और उपयोग करके अपने लछ्योन को प्राप्त कर सकेगा, जिसे किसी भी समर्थ व्यक्ति या व्यवस्था द्वारा किसी भी प्रकार से गुमराह, बाध्य अथवा बाधित नही किया जा सकेगा|
यह सभी व्यक्ति-वस्तु-व्यवस्था में सभी समय-स्थान-परिस्थितियों में अनिवार्य रूप से रहने वाली उसकी प्रवृत्ति(ज़रूरतों या समस्याओं को) को धनुष की लकड़ी की तरह उपयोग किए जाने की व्यवस्था की योजना है| जिसमे उनकी समस्याओं को प्रत्यांचा तथा सारे नियम-क़ानून तीर की तरह प्रयुक्त किए जा सकते हैं| जिसे कोई भी चाहे वह दीन-हीन, कमजोर, मूर्ख, बच्चा, महिला या दुष्ट ही क्यूँ ना हो, द्वारा भी केवल चाहत मात्र से ही, बगैर किसी लागत या जोख़िम के आसानी से बना कर, उपयोग करके, अपने लछ्योन को प्राप्त किया जा सकेगा| जिसे किसी भी तरह से समर्थ व्यक्ति या व्यवस्था की ना तो ज़रूरत होगी और ना ही उनके द्वारा किसी भी प्रकार से बाध्य, बाधित, गुमराह अथवा कंफ्यूज ही किया जा सकेगा| इसमे किसी भी तरह के काबिल लोगों के लिए किसी भी प्रकार की रोक-टोक नही है|
यह तीर सभी देश-काल-परिस्थितियों में, उनके अनुरूप प्रचलित तथा अनुपालित धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक व अन्य नियम क़ानून है जिसे संबंधित प्रयत्नशील व्यक्ति द्वारा बनाए और उपयोग किए जाने वाले धनुष द्वारा स्वतः उपयोग होने के लिए बाध्य किया जा सकेगा| जो ज़रूरतों के अनुरूप खुद ही अपना लछ्य निर्धारित करने और उन्हे निश्चित रूप से भेदने मे समर्थ भी होंगे| जिसे किसी भी समर्थ व्यक्ति या व्यवस्था के सहयोग और समर्थन की ना तो ज़रूरत होगी और ना ही उनके द्वारा किसी भी प्रकार से बाध्य, बाधित, गुमराह अथवा अथवा कंफ्यूज नही किया जा सकेगा| इसमे किसी भी तरह के काबिल लोगों के लिए किसी भी प्रकार की रोक-टोक नही है|
यह सभी व्यक्ति-वस्तु-व्यवस्था में सभी समय-स्थान-परिस्थितियों में अनिवार्य रूप से रहने वाली समस्या को धनुष की प्रत्यांचा(डोरी) की तरह उपयोग किए जाने की व्यवस्था की योजना है| जिसे कोई भी चाहे वह दीन-हीन, कमजोर, मूर्ख, बच्चा, महिला या दुष्ट भी केवल चाहत मात्र से ही बगैर किसी लागत या जोख़िम के आसानी से बना और उपयोग करके अपने लछ्योन को प्राप्त कर सकता है, जिसे किसी भी समर्थ व्यक्ति या व्यवस्था के सहयोग और समर्थन की ना तो ज़रूरत होगी और ना ही उनके द्वारा किसी भी प्रकार से बाध्य, बाधित, गुमराह अथवा अथवा कंफ्यूज नही किया जा सकेगा| इसमे किसी भी तरह के काबिल लोगों के लिए किसी भी प्रकार की रोक-टोक नही है|
अभिनव अभिषद का अर्थ है सदैव नया रहने वाला स्वतंत्र व्यक्तियों (मेम्बर) या व्यवस्थाओं (यूजर) के समूह का संगठन (सिंडिकेट), इसमें सभी परिवार तथा उसके सदस्य अपनी पसंद, नापसंद, इच्छा, विचार, योजना अथवा ज़रूरत के अनुसार स्वतः निर्धारित प्रकार तथा अपनी क्षमता, जरुरत या चाहत के अनुसार किये गए प्रयासों से निर्धारित स्तर से अन्य सदस्यों/व्यवस्थायों को अपने हितों के अनुसार कार्य करने के लिए बाध्य करके सभी को लाभ पहुंचाते हुए अपने सभी प्रकार के हितों को पूरा कर सकता है। इस व्यवस्था का उपयोग करके कोई भी व्यक्ति या व्यवस्था द्वारा किसी भी प्रकार का असंभव से असंभव कार्य किया जा सकता है।
अभिनव अभिषद एक एसा अल्टिमेट(अंतिम या पूर्ण) नेटवर्क है जिसमे कोई कमी या सुधार बताया जाना अथवा जिससे बचना किसी भी व्यक्ति-वस्तु-व्यवस्था के लिए किसी भी समय-स्थान-परिस्थितियों में सार्वजनिक, व्यवस्थित और प्रमाणित रूप से संभव नही है| मुख्यतया हिंदी में बनाई गयी इस वेबसाइट के उपयोग द्वारा रामराज्य जैसी व्यवस्था स्वतः स्थापित होगी, जिसमें किसी भी दीन-हीन, कमजोर, मूर्ख, बच्चा, महिला या दुष्ट भी केवल चाहत मात्र से ही बगैर किसी लागत या जोख़िम के आसानी से बना और उपयोग करके अपने लछ्योन को प्राप्त किया जा सकता है, जिसे किसी भी समर्थ व्यक्ति या व्यवस्था के सहयोग और समर्थन की ना तो ज़रूरत होगी और ना ही उनके द्वारा किसी भी प्रकार से बाध्य, बाधित, गुमराह अथवा कंफ्यूज नही किया जा सकेगा|
अभिनव अभिषद एक आत्मान्वेषक द्वारा संकलित, समन्वित और प्रायोजित वैचारिक धनुष(व्यवस्था) बनाना, चलना और उसको तोड़ने की योजना है, जिसे लोगों द्वारा बगैर किसी बुद्धि, बल या धन का उपयोग किए ही मात्र लोगों की ज़रूरतों और समस्याओं से मिलाकर बनाया जा सकेगा, उनकी पूर्ति और निदान से शक्ति प्राप्त कर खुद ही चल भी सकेगा, जिसमे परिणाम भी पूर्व से ही निर्धारित भी किए जा सकेंगे, जिसमे धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक नियम-क़ानून तीरों की तरह स्वतः प्रयुक्त होने के लिए बाध्य रहेंगे| जिसे लोगों द्वारा बगैर किसी बुद्धि, बल या धन का उपयोग किए ही निश्चित रूप से तोड़ा भी जा सकेगा तथा जिसे तोड़ने वाला समस्त दुनिया पर निश्चित रूप से शासन करेगा| इस कार्य को कोई भी कमजोर, दीन-हीन यहाँ तक कि दुष्ट भी व्यक्ति भी ज़रूर किया जा सकेगा, जिसे किसी भी समर्थ व्यक्ति या व्यवस्था की ना तो ज़रूरत होगी और ना ही उनके द्वारा किसी भी दशा में बाध्य, बाधित, गुमराह या कंफ्यूज ही किया जा सकेगा| किसी भी तरह के समर्थ लोगों द्वारा भी, इसके उपयोग पर किसी भी तरह का, कोई प्रतिबंध नही है| इसमे समस्त अभिव्यक्तियों को स्पष्ट करने, उपयोग और क्रियान्वित किए जा सकने को सार्वजनिक, व्यवस्थित और विरोधियों के अभाव में प्रमाणित रखने का असीमित दायित्व इसके समन्वयक का व्यक्तिगत है|

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एक एसा अल्टिमेट(अंतिम या पूर्ण) नेटवर्क है जिसमे कोई कमी या सुधार बताया जाना अथवा जिससे बचना किसी भी व्यक्ति-वस्तु-व्यवस्था के लिए किसी भी समय-स्थान-परिस्थितियों में सार्वजनिक व्यवस्थित और प्रमाणित रूप से संभव नही है| मुख्यतया हिंदी में बनाई गयी इस वेबसाइट के उपयोग द्वारा रामराज्य जैसी व्यवस्था स्वतः स्थापित हो सकेगी। किसी भी व्यक्ति या व्यवस्था द्वारा इसके उपयोग से सभी तरह के हितों को हर हल में पूरा किया तथा छातियों से बचा जा सकेगा। इसका दुरूपयोग किया जाना, इसको गुमराह किया जाना अथवा इस पर कब्ज़ा किया जाना किसी भी दशा में संभव नहीं है। अतः समस्त बौद्धिक रूप से समर्थ व्यक्तियों को इसकी उत्कृष्ट हेतु चैलेंज किया जाता है| फिलहाल जो भी चाहे विरोध करने या इससे बचाने की असफल कोशिश करने का प्रयास ज़रूर करे|